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Friday, April 24, 2020

Funny Shayari in Hindi | हिंदी में फनी शायरी

Funny Shayari in Hindi | हिंदी में फनी शायरी

             शायरी दिल की जुबान होती है. शायरी के बहुत कम शब्द अपने अन्दर बड़े अर्थ रखते हैं. और अगर शायरी में Fun लाया जाए तो शायरी कहने , पढने और सुनने में भी बड़ा मज़ा आता है. इसी तरह यहाँ पर Funny शायरी को आप सब के लिए पेश किया जा रहा है. 


Funny Hindi Shayari
Funny Hindi Shayari


गर्लफ्रेंड मोटी हो जाए


चप्पल छोटी हो जाए तो पाँव में नहीं आती;
वाह वाह! चप्पल छोटी हो जाए तो पाँव में नहीं आती;
और गर्लफ्रेंड मोटी हो जाए तो बाहों में नहीं आती

झूट बोलने के बाद

मोहब्बत कर ली तुमसे बहुत सोचने के बाद,
अब किसी को देखना नहीं तुम्हे देखने के बाद,
दुनिया छोड़ देंगे तुम्हे पाने के बाद,
खुदा माफ़ करे इतना झूट बोलने के बाद

तिरछी नज़र से

जब देखा उन्हों ने तिरछी नज़र से,
कसम खुदा की मदहोश हो गए हम,
जब पता चला नजर ही तिरछी है,
तो वहीँ खड़े-खड़े बेहोश हो गए हम।

हर तरफ मुमताज़

सफ़र लंबा है दोस्त बनाते रहिये,
दिल मिले न मिले हाथ बढ़ाते रहिये,
ताज महल न बनाइये महेंगा पड़ेगा,
मगर हर तरफ मुमताज़ बनाते रहिये।

सच्चाई

सितारों में आप, हवाओ में आप,
फिज़ाओ में आप, बहरो में आप,
धूप में आप, चाओं में आप,
सच ही सुना है कि....
बुरी आत्माओं का कोई ठिकाना नहीं होता।

वो तू नहीं...!

 ऐ खूबसूरत हसीना,
तू सिर्फ सवाल नहीं एक पहेली है,
और जिसपे हम लाइन मारते हैं,
वो तू नहीं तेरी सहेली है।

आँखों में काजल काफी नहीं...!

बहुत खूबसूरत हो तुम फूल की तरह,
खुद को दुनिया की नज़र से बचाया करो,
सिर्फ आँखों में काजल ही काफी नहीं,
गले में निम्बू मिर्ची भी लटकाया करो।

कौन करेगा...?

मेरी हँसी का हिसाब कौन करेगा?
मेरी गलती को माफ़ कौन करेगा?
ऐ-खुदा, मेरे दोस्त को सलामत रखना,
वरना मेरी शादी पे "लुंगी डांस" कौन करेगा

अब शादी हो गयी है पर...

शादी करनी थी पर किस्मत खुलती नहीं,
ताज महल बनाना था पर मुमताज़ मिलती नहीं,
एक दिन किस्मत खुली और शादी हो गयी,
अब ताज महल बनाना है पर मुमताज़ मरती नहीं।

मोहल्ले में...

धोखा मिला जब प्यार में हमे,
ज़िन्दगी में उदासी छा गयी,
सोचा था छोड़ देंगे प्यार करना,
पर आज मोहल्ले में दूसरी आ गयी।

जब मुह खुलवाया...!

ना जाने वो हमसे क्या छुपाती थी,
कुछ था जरुर उसके प्यारे से होंठो पे,
मगर ना जाने क्यों हमसे शर्माती थी,
जब मुह खुलवाया तब जाकर मालूम हुआ,
कम्बख्त चुप-चाप पान मसाला चबाती थी।

कुछ तो फर्क...

ऐ खुदा हिचकियों में
कुछ तो फर्क डाला होता,
अब कैसे पता करूँ के
कौन सी वाली याद कर रही है।

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